मिरोव चैप्टर 2

  • ₹250.00
  • by Ashfaq Ahmad  (Author)
  • Book: Mirov Chapter 2
  • Paperback: 245 pages
  • Publisher: Gradias Publishing House
  • Language: Hindi
  • ISBN-13:  978-81-959837-2-8
  • Product Dimensions: 13.95 x 1.75 x 21.59 cm

केविन के रूप में अचानक एक ऐसा आदमी नज़र में आता है जो सौ साल पहले किसी इनक्वायरी पर निकला था, लेकिन ग़ायब हो जाता है और लगभग सौ साल बाद प्रकट होता है, जबकि उसके हिसाब से उसने चार दिन का वक्त ही कहीं गुमशुदगी में गुजारा था… अब ऐसा कैसे था, यह समझने के लिये सेटी (सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) सिंथिया के नेतृत्व में एंशेन्ट एस्ट्रोनॉट थ्योरिस्ट के कुछ लोगों को मिला कर एक मिशन लांच करती है और वे केविन को ले कर एलियन एक्टिविटीज के सबूत खोजने वापस कुमाऊँ की घाटियों में पहुंचते हैं।

एमसाना की डूबी रकम की रिकवरी के लिये एवलिन के बनाये दबाव के रियेक्शन में वह अमेरिकी ताकतवर लॉबी एकदम पलटवार करते एमसाना और मथायस के खिलाफ एक्शन शुरू करवा देती है और एमसाना से एक सीधी जंग शुरू हो जाती है जिसमें जंग का मैदान न्यूयार्क शहर बनता है और इस जंग का खात्मा भी एक ऐसी एंटिटी के दखल से होता है जो इस दुनिया की तो नहीं थी— और जो उन्हें भविष्य के खतरों के प्रति सचेत करने की कोशिश कर रही थी।

बेनवॉ कार्प्स वालों ने एक दूसरे मिरोव फ्रेंको के रूप में अपना खुद का एक एडगर तैयार कर लिया था, जो उन्हें शकराल की घाटी तक पहुंचा सकता था और वे एमसाना से अमेरिकियों की जंग छिड़ने के साथ ही अपनी टीम भारत के लिये रवाना तो कर देते हैं— मगर खुद इस जंग की बड़ी कीमत चुकाते हैं, जबकि एवलिन लाख कोशिश के बावजूद अमेरिकन गवर्नमेंट के हत्थे नहीं आती और एडगर समेत अपनी उस टीम को अमेरिका से निकाल ले जाती है जिसे शकराल पहुंचना था।

करीब चार सौ साल बाद एक ऐसा इवेंट फ्रांस सरकार की नज़र में आता है, जहां वे धरोहरें बेची जा रही थीं जिन्हें चुरा कर कभी शकराल ले जाया गया था और तब से वे दुनिया की नज़रों से छुपी रही थीं… और यह सब सामने आता है एक खरीदार की हत्या से, जिसके बाद वे इंग्लैंड और नीदरलैंड के साथ मिल कर एक संयुक्त मिशन लांच करते हैं जो इन नीलामियों के कर्ता-धर्ता का पता लगायें और उनसे अपनी चीज़ें वापस हासिल करें। इस व्यक्ति के तार भी भारत और नार्थ कुमाऊँ से जुड़ते हैं और उनकी टीम को भारत की यात्रा करनी पड़ती है।

मीडियम में छपे एक आर्टिकल से गंगा, राणा और सारंग के साथ शकराल की सारी स्टोरी दुनिया की नज़र में आ जाती है और तब भारत को भी इसमें दिलचस्पी लेनी पड़ती है, लेकिन उनकी जानकारी के हिसाब से नार्थ कुमाऊँ में न ही शकराल नाम की कोई जगह थी और न ही उनकी जानकारी में सारंग नाम का ऐसा कोई आदमी था, जो सैकड़ों साल जिंदा रहा हो, लेकिन जब उन घाटियों में इतने लोग दिलचस्पी ले रहे थे तो वे पीछे नहीं हट सकते थे और वे भी एक मिशन लांच करते हैं— इन बातों की सच्चाई परखने के लिये।

अब नार्थ उत्तराखंड में वे पांच अलग-अलग पार्टियां पहुंचती हैं और सही डेस्टिनेशन की तलाश में भटकते एक दूसरे से भिड़ती रहती हैं, लेकिन उनके सफ़र का खात्मा जहां होता है, वहां यह दुनिया ही खत्म थी और वहीं से शुरुआत होती है एक ऐसी नई दुनिया की, जो उनकी कल्पनाओं से भी परे थी। जिसके बारे में उन्होंने किसी वैज्ञानिक के मुंह से भी कभी ऐसा कुछ नहीं सुना था और जिसे ठीक से समझने के लिये उन्हें खुद भी ट्रांसफार्म होना पड़ता है।

To Buy Click Here

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s