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अपनी किताब कैसे छपवायें?

किताब प्रकाशित कराने के क्या-क्या विकल्प हैं 

कहानी, किसी खास विषय से सम्बंधित लेख, कविता आदि आप कुछ भी लिखते हों, किसी न किसी मोड़ पर आपको अपने लिखे को किताब के रूप में छपवाने का ख्याल जरूर आता है। तकनीक की उपलब्धता ने इस छपने की प्रक्रिया को आसान जरूर बनाया है लेकिन अभी भी यह सबके बस का नहीं है। इस सिलसिले में जो भी ऑप्शन हैं.. वे इस लेख में पिरोये गये हैं। कृपया इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।

किताब पब्लिश करने के लिये दो ऑप्शन आपके पास होते हैं.. एक, कि आप अपने लिखे को ईबुक के रूप में डिजाइन करके किताब के डिजिटल वर्शन को आप ईबुक उपलब्ध कराने वाले तमाम प्लेटफॉर्म्स पर पब्लिश कर सकते हैं। इसमें अगर आप कवर, फार्मेटिंग, एडिटिंग सब खुद कर सकते हैं तो यह तरीका आपके लिये बिलकुल मुफ्त है अन्यथा एडिटिंग, प्रूफ रीडिंग, कवर के लिये उपलब्ध दूसरे तरीकों का भी चुनाव आप कर सकते हैं। ईबुक डिजाइन करने से लेकर पब्लिश करने तक की सारी प्रक्रिया आप इस लेख पर जा कर पढ़ सकते हैं..

ईबुक कैसे डिजाइन और पब्लिश करें

बुक पब्लिशिंग के लिये दूसरा ऑप्शन है पेपरबैक के रूप में एक फिजिकल स्टफ, यानि एक प्राॅपर किताब छपवाना। अब यहां जो सबसे पहली जरूरत है, वह है किताब को रेडी टू प्रिंट तैयार करना.. क्योंकि इस बात के बहुत कम चांस हैं कि आपके लिखे को किताब की शक्ल में सहेजने का जतन कोई संपादक/प्रकाशक करेगा, अगर आप इसके पीछे खर्च नहीं कर रहे हो। हां, खर्च कर रहे हैं तब किसी भी पब्लिकेशन की तरफ से या सेल्फ पब्लिशिंग मोड में प्रोफेशनल्स की तरफ से आपको यह सुविधा मिल सकती है। खुद से इसे करना चाहते हैं तो नीचे दिये लिंक पर इस पूरी प्रक्रिया को उकेरा गया है, आप इस लेख से मदद ले सकते हैं..

वर्ड में किताब कैसे डिजाइन करें

अब मान लेते हैं कि आपके पास एक रेडी टू प्रिंट स्क्रिप्ट तैयार हो गई है.. तो यहां से भी उसे छपवाने के लिये आपके पास दो ऑप्शन हैं। पहला कि किसी परंपरागत पब्लिकेशन को स्क्रिप्ट दें, इसमें काफी वक्त लग सकता है और बड़े, स्थापित लेखकों को छोड़ कर शायद ही किसी की पांडुलिपि वे इस तरह लेते हैं कि आपको कुछ न देना पड़े, वे इसे खुद के रिस्क पर छापें और ऑनलाइन उपलब्ध कराने के साथ ही देश भर के बुक स्टोर्स और स्टाल्स पर उपलब्ध करायें। बिक्री पर 10 से 15 प्रतिशत राॅयल्टी आपको मिल सकती है। अगर आप नये हैं, तभी यहां यह लेख पढ़ रहे हैं, तो समझ लीजिये कि आपके लिये वह सुविधा नहीं है। आपको दूसरे ऑप्शन पे जाना पड़ेगा.. यानि किताब को छपवाने के लिये आपको पैसे खर्च करने पड़ेंगे।

बड़े पब्लिकेशन सहयोग राषि के नाम पर इतने पैसे ले लेते हैं कि 500 या 1000 प्रतियाँ उसी पैसे से छप जायें और फिर अगर वे बिकती हैं तो उस बिक्री पर आपको 10-15% राॅयल्टी मिलती है। छोटे ढेरों पब्लिकेशन कम फीस में यानि 5000 से लेकर 20000 तक में भी किताब छाप देते हैं लेकिन उसमें उनकी तरफ से बस सर्विस ही रहती है, 20-25 हजार लेने वाले आपको सौ प्रतियां उपलब्ध करा देंगे कि आप खुद बेचिये और कुछ काॅपीज अपने पास रख के ऑनलाइन लिस्ट कर देते हैं।

Gradias Publishing House

बाकी सेल्फ पब्लिशिंग में नोशन, ब्लू रोज जैसे प्लेटफॉर्म्स हैं जो 35 हजार से लेकर लाख रुपये तक के पैकेज देते हैं जहां इतने पैसे में उनकी सर्विस और मात्र दस ऑथर काॅपीज ही काउंट होती है। बाकी छोटे पैकेज पर सिर्फ ऑनलाइन लिस्ट कर देते हैं और बड़े पैकेज पर सौ-दो सौ काॅपी प्रिंट करके कुछ अपने से जुड़े स्टोर्स में किताब उपलब्ध करा देते हैं। बड़े पैकेज में हिंदी वालों का फायदा नहीं, अंग्रेजी के लिये ठीक है क्योंकि वहां इंटरनेशनल मंच मिलता है। इस तरह से किताब पब्लिश करने पर वे 100% राॅयल्टी देने की बात तो करते हैं लेकिन वह होती कितनी है, इसे ऐसे समझिये। नीचे नोशन पर लिस्ट 226 पेज की एक किताब है, जिसकी प्रोडक्शन कास्ट 104 है, अब आप इसकी MRP 260 (उनकी तरफ से मिनिमम रखने की शर्त से बंधी) भी रखते हैं तो अगर यह किताब अमेजाॅन/फ्लिपकार्ट जैसे मंच से बिकती है तो आपको मात्र 18-19 रुपये मिलते हैं। यही आपकी 100% राॅयल्टी है।

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 और इतना काफी नहीं है, इस सिलसिले की जटिलता यह है कि एक पाठक जब 260 की यह किताब खरीदने जायेगा तो उसे 40 से 50 डिलीवरी चार्ज भी देना पड़ेगा, जो अमेजाॅन या फ्लिपकार्ट वाले नहीं लेते बल्कि वह सेलर की तरफ से होता है और इन पब्लिकेशन के अकाउंट में जाता है लेकिन न वह आपको बताया जायेगा और न ही आपके साथ शेयर किया जायेगा। आपको सारी कैलकुलेशन MRP के हिसाब से दी जायेगी जहां प्रोडक्शन कास्ट (पब्लिकेशन के शेयर के साथ 140 हो सकती है) के साथ इन मार्केटप्लेस का चार्ज (क्लोजिंग फीस/रेफ्रल चार्ज/शिपिंग चार्ज) 100+ जोड़ के सारी गणित निकाल ली जाती है। यानि आपको कैलकुलेशन में मैक्जिमम (जो नेशनल चार्ज होता है लगभग 84₹) चार्ज ही बताया जाता है जबकि बायर लोकल या रीजनल एरिया का भी हो सकता है जिसके चार्ज अलग हो जाते हैं (लोकल 45+, रीजनल 60+).. इस तरह यहाँ भी आपके साथ एक खेल होता है।

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि मान लीजिये खरीदार चेन्नई का है जो नोशन का लोकल एरिया है तो अमेजाॅन का शेयर बस 60 तक रहेगा.. अब ग्राहक से मिले 300 में 240 नोशन के, जिसमें 105 प्रोडक्शन कास्ट भी निकाल दें तो बचे हुए 135 में 19 रुपये आपको मिलने हैं और 126 नोशन के। कमोबेश यही खेल आपके साथ हर जगह होता है।

अब मूल मुद्दे पर लौटते हैं, किसी पैकेज या सहयोग राषि के नाम पर एक तयशुदा रकम की अदायगी के साथ आप अगर स्क्रिप्ट पब्लिकेशन को सौंपते हैं तो सारी सरदर्दी फिर उनकी हो जाती है लेकिन अगर आप खर्च नहीं करना चाहते या मिनिमम खर्च करना चाहते हैं तो फिर पोथी, क्रियेटस्पेस, जगर्नाट या नोशन के पास एक ऑप्शन रहता है कि खुद से पब्लिश कर लें। कुछ जगह ISBN आपको लेना पड़ सकता है तो किसी जगह पब्लिकेशन ही उपलब्ध करा सकते हैं। बस आपको उनकी गाईडलाईन के हिसाब से रेडी टू प्रिंट अपलोड करनी होती है। कवर के लिये उनके टूल का भी सपोर्ट ले सकते हैं या खुद भी बाहर से बनवा सकते हैं।

अब किताबों की छपाई ऑफसेट और डिजिटल दो तरह से होती है.. यहां 200+ काॅपीज के लिये ऑफसेट के ऑप्शन पे जाते हैं जहां 200+ पेज की किताब भी 80₹ के आसपास पड़ सकती है। प्रतियां जितनी ज्यादा होंगी, उतनी ही कास्ट घटती जायेगी.. दूसरे डिजिटली प्रिंट होती हैं जहां लगभग एक ही रेट रहता है लेकिन यहां कास्ट काफी ज्यादा रहती है। आप नीचे की तस्वीरों से अंदाजा लगा सकते हैं कि 200 पेज की किताब की प्रोडक्शन कास्ट 233 आनी है। अब इसपे आपको राॅयल्टी चाहिये तो MRP इससे ऊपर ही रखनी पड़ेगी, जबकि इसके बावजूद किताब इन्हीं के स्टोर से खरीदी जा सकेगी।

Gradias Publishing House
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अगर चाहते हैं कि अमेजाॅन या फ्लिपकार्ट पर भी लिस्ट हो तो उनके चार्ज भी इस MRP में इनक्लूड करने पड़ेंगे। अब सोचिये कि आप नये नवेले, अंजान से लेखक.. भला आपकी किताब 350 या 400 में कौन खरीदेगा जबकि कई बड़े लेखकों की किताबें 150 तक में बिक रही हैं। उनकी इसलिये बिकती हैं क्योंकि उनकी ऑफसेट से बल्क प्रिंटिंग होती है, और वह इसलिये होती है क्योंकि प्रकाशक को उनके बिकने की गारंटी रहती है। आपकी किताब इस तरह बिकने की गारंटी नहीं तो आपको यह सुविधा नहीं.. खुद खर्च करके छपवाना चाहें तो छपवा लें मगर बेचना आपको ही पड़ेगा।