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KINDLE AUR SMASHWORD PE E-BOOK KAISE PUBLISH KAREN- किंडल और स्मैशवर्ड पे ईबुक कैसे पब्लिश करें (PART 2)

किंडल पे ईबुक कैसे पब्लिश करें/ KINDKE PE E-BOOK KAISE PUBLISH KAREN

इन दो जगहों के बाद अब सबसे इम्पोर्टेंट प्लेटफार्म है किंडल, जहाँ मिलने वाले रीव्यू आपकी किताब की सेल को बूस्ट कर सकते हैं। अमेजाॅन के रीव्यू ही किसी किताब की रैंकिंग में सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। तो किंडल पे अपनी ईबुक पब्लिश करने के लिये सबसे पहले आपको किंडल के साईनअप पेज पे आना होगा।

सबसे पहले साईन अप के बटन पे क्लिक कीजिये, कोई अमेजाॅन का पहले से अकाउंट है तो आगे उससे लाॅगिन कर लीजिये और नहीं है तो नीचे क्रियेट अकाउंट के ऑप्शन पे जा कर नाम, मेल आईडी और पासवर्ड भर कर क्रियेट कर लीजिये। उनकी टर्म्स एंड कंडीशन एग्री करते हुए “बुकशेल्फ” में आ जाइये।

यहाँ आपसे प्रोफाईल अपडेट करने को कहा जायेगा जो आप पहले कर लीजिये। ओटीपी से फोन नंबर वेरिफाई कर के, अपनी बैंक डिटेल और पैन कार्ड नम्बर भर दें और यह प्रोसेस पूरा कर के बुकशेल्फ में आयें। यहां आपको दो ऑप्शन दिखेंगे, किंडल ईबुक और पेपरबैक… पेपरबैक में आप चाहें तो अपनी स्क्रिप्ट लोड कर सकते हैं, वह अमेजाॅन के पास पब्लिश ऑन डिमांड मोड में लाईव रहेगी, यानि जैसे ही कोई ऑर्डर हुआ, तो वे उसे प्रिंट कर के पहुंचा देंगे।

लेकिन यह सुविधा भले पंद्रह-बीस भाषाओं के लिये है लेकिन हिंदी के लिये नहीं है तो अगर आपकी किताब अंग्रेजी में है तो ही इस ऑप्शन पे जायें वर्ना ईबुक के ऑप्शन पे आ जायें। यहां तीन टैब का एक पेज खुलेगा, जिसमें पहला टैब ईबुक डिटेल का होगा,  जहाँ काफी ध्यान से आपको सारी डिटेल भरनी होगी।

सबसे पहले किताब की भाषा चुनें, फिर किताब का टाईटल और अगर कोई सब टाईटल है तो वह भी। सीरीज और एडिशन नम्बर की आपको जरूरत नहीं, कंट्रीब्यूटर अगर कोई है तो उसकी डिटेल दे दीजिये। फिर किताब का बढ़िया सा लांग डिस्क्रिप्शन लिखिये।  पब्लिशिंग राईट्स में “ओन” पे टिक कीजिये। फिर सात ऐसे कीवर्ड्स चुनिये जिनके सहारे आपको लगता है कि लोग गूगल पे सर्च कर सकते हैं। यह सबसे इम्पोर्टेंट फीचर है।

इसके बाद अपनी किताब के हिसाब से कोई दो कैटेगरी चुनें। अगले एज एंड ग्रेड ऑप्शन को छोड़ दें। नीचे “आई एम रेडी” पे टिक कर के सेव एंड कांटीन्यू कर दें।

अगले टैब में सबसे ऊपर डीआरएम यस, नो जो भी करें, नीचे वर्ड फाईल के रूप में मनुस्क्रिप्ट अपलोड कर दें। इसके बाद कवर के लिये दो ऑप्शन मिलते हैं कि चाहें तो खुद का पहले से बनाया कवर अपलोड करें या किंडल के कवर क्रियेटर टूल का उपयोग करते हुए यहीं पे कोई कवर बना लें। प्रीव्यू देखना चाहें तो देख सकते हैं या रहने दें। नीचे आईएसबीएन नम्बर को छोड़ दें, किंडल खुद कोई ASIN नम्बर जनरेट कर देगा। पब्लिशर के खाने में कोई नाम देना चाहें तो दे सकते हैं। फिर सेव एंड कांटीन्यू पे क्लिक कर दें।

अगला टैब प्राइसिंग का है… यहाँ केडीपी में एनरोल चाहे न ही करें, क्योंकि तब उनकी कई शर्तें लग जाती हैं। टैरेट्रीज में ऑल टैरेट्री रखें.. राॅयल्टी में हालांकि दो ऑप्शन मिलते हैं लेकिन 70% वाला ऑप्शन 100 रुपये से ऊपर के प्राईस पे इनेबल होगा और उसमें भी कई खर्च और टैक्स कट किये जाते हैं, जबकि 35% वाले ऑप्शन में आपको वह पूरा हिस्सा मिलता है। बेहतर है कि 35% के साथ ही जायें।

यहाँ आपको भारत समेत 12 और मार्केटप्लेस मिलते हैं। अब चाहें तो एक ग्लोबल प्राईस भी रख सकते हैं और चाहें तो अलग-अलग मार्केटप्लेस के हिसाब से भी प्राईस सेट कर सकते हैं लेकिन यहाँ आपको कीमत मिनिमम 49 रुपये रखनी ही होगी।

नीचे लेंडिंग के लिये बुक अलाऊ करनी है या नहीं, यह आपके कंटेंट और इच्छा पर निर्भर करता है। इसके बाद आप फाईनली “पब्लिश योर किंडल बुक” पे क्लिक कर दें। 72 घंटे के भीतर आपकी बुक किंडल के प्लेटफार्म पर लाईव हो जायेगी। कोई संशोधन बाद में भी करना चाहें तो कर सकते हैं लेकिन यह फीचर बुक लाईव हो चुकने के बाद ही खुलता है।

फ़ाइल को ईपब फार्मेट में कैसे कन्वर्ट करें/ FILE KO EPUB FORMAT ME KAISE CONVERT KAREN 

अब अंत में आता है स्मैशवर्ड, जहाँ से आप एकसाथ कोबो, एपल, बार्नेस एंड नोबल और सोनी जैसे वर्ल्ड लेवल प्लेटफॉर्म्स तक अपनी किताब पहुंचा सकते हैं लेकिन स्मैशवर्ड के लिये सबसे जरूरी चीज है अपनी वर्ड फाईल को ईपब फाईल में कनवर्ट करना। इसके लिये आपको सबसे पहले यहाँ से कैलिब्रे डाउनलोड करना होगा। फाईल कनवर्शन के लिये कैलिब्रे सबसे जरूरी है।

अब कैलिब्रे जब ओपन करेंगे तो इस तरह का इंटरफेस खुलेगा। यहां लेफ्ट कार्नर में दिये “एड बुक्स” के ऑप्शन से आप वर्ड फाईल इम्पोर्ट करेंगे, फिर उसे सलेक्ट किये हुए कनवर्ट पे क्लिक करेंगे। यहां आपको मेटाडाटा फिल करना है, मसलन राईट कार्नर में आउटपुट फार्मेट “ईपब”, नीचे ऑथर, पब्लिशर, टैग्स और शार्ट डिस्क्रिप्शन आदि भर के, सेंटर में दिये ऑप्शन से कवर अपलोड करें और ओके कर दें।

फाईल अपलोड हो चुकने के बाद ऊपर एडिट मेटाडाटा पर क्लिक करेंगे तो एडिट पेज खुल जायेगा, जहाँ कुछ बाद में भरी जाने वाली इनफार्मेशन फिल कर सकते हैं। टाईटल, ऑथर आदि सही कर के चाहें तो रेटिंग दे लें, टैग्स दुरुस्त कर लें, आईडी में अगर कोई आईएसबीएन है तो दे दें या बाद में स्मैशवर्ड से ले कर वापस एडिट करके बाद में भर सकते हैं। पब्लिश्ड डेट, पब्लिकेशर, भाषा आदि सेट कर के राईट साईड में लांग डिस्क्रिप्शन भर कर ओके कर दें। यह फाईल आपके सिस्टम में आप जहाँ चाहे, सेव टु डिस्क के ऑप्शन पे जा कर सेव कर सकते हैं।

स्मैशवर्ड पे ईबुक कैसे पब्लिश करें/ SMASHWORD PE E-BOOK KAISE PUBLISH KAREN

अब आइये स्मैशवर्ड पे… सबसे पहले आपको साईन अप का प्रोसेस पूरा करना है। प्रक्रिया लगभग समान ही है, सभी जरूरी इनफार्मेशन भरनी हैं, बैंक डिटेल और पैन नम्बर भरना है, अकाउंट टाईप इंडीविजुअल ही रखना है। यहां एक लेखक के तौर पर आपको काफी स्पेस मिलता है अपने बारे में बताने का और अपने सभी सोशल मीडिया लिंक्स प्रोफाईल में अटैच करने का।

ऊपर मौजूद फंक्शनल पट्टी में डैशबोर्ड के ऑप्शन में आपको लगभग सभी जरूरी चीजें मिलती हैं और “पब्लिश” के ऑप्शन पर जा कर आप अपनी किताब अपलोड कर सकते हैं।

यहाँ सबसे पहले टाईटल भरना है, “फार इमिडियेट रिलीज” पर टिक करते हुए नीचे बुक डिस्क्रिप्शन लिखना है… पहले लांग और फिर शार्ट। बुक लैंग्वेज सलेक्ट करनी है, यहाँ प्राईज आपको डाॅलर में भरना है जो मिनिमम 0.99 होना चाहिये। सैम्पलिंग चाहे तो इनैबल करें या डिसेबल कर दें। इनैबल रखें तो 10 या 20% सैम्पल ही रखें। फिर दो कैटेगरी चूज करें.. एडल्ट कंटेंट के ऑप्शन में विषय के हिसाब से यस या नो करें और बाॅक्स सेट है या नहीं तो यहाँ नो पे ही रखें। टैग के ऑप्शन में सात आठ वह टैग दे दें जो आपकी किताब से सम्बंधित हों और कीवर्ड्स का काम करें।

तत्पश्चात कवर अपलोड करें, उसके बाद ईपब फाईल अपलोड करें। सबसे लास्ट में पब्लिशिंग एग्रीमेंट सेक्शन में एग्री पर टिक कर के पब्लिश कर दें। थोड़ा वक्त ले कर बुक पब्लिश हो जायेगी। हाँ प्रीमियम कैटेलाॅग में लिस्टेड होने में थोड़ा वक्त लेगी मगर हो जायेगी। अगर कोई त्रुटि होगी तो वहीं मेंशन कर दी जायेगी जिसे आप कैलिब्रे पे ही एडिट कर के न्यू वर्शन के रूप में अपनी ईपब फाईल अपलोड कर सकते हैं।

बुक प्रमोशन कैसे करें/ BOOK PROMOTION KAISE KAREN 

उसके लिये सबसे पहले बुक के विषय को ध्यान में रखते हुए शार्ट, लांग डिस्क्रिप्शन आदि तैयार कीजिये और प्रमोशन काफी हद तक आपके नेटवर्क और सोशल मीडिया पर आपकी कनेक्टिविटी पर डिपेंड करता है। तो सबसे पहली चीज तो यही है कि अपनी वाल पर पोस्ट करके लोगों को किताब के बारे में बताइये, जितने ग्रुप्स में एड हैं उनमें पोस्ट या शेयर कीजिये।

यहाँ एक चीज यह जरूर ध्यान रखें कि शाॅपिंग के लिये एक ही लिंक दें, जो अमेजाॅन का हो तो ही बेहतर है क्योंकि वहां लोग किताब को रीव्यू दे सकते हैं और अमेजाॅन के रीव्यू ही किताब की रैंकिंग को बूस्ट देते हैं। एक बार किताब चर्चा पा गयी तो उस विषय में रूचि रखने वाले पाठक खुद ही अदर प्लेटफार्म्स से खरीद सकते हैं। रीव्यू के लिये आप अपने सर्कल के उन दोस्तों या पहचान वालों से रिक्वेस्ट कर सकते हैं जो वहां एलिजिबल हों। उनकी एलिजिब्लिटी का आधार छः महीने में कम से कम 1500 की खरीद है, फिर चाहे उन्होंने वह प्रोडक्ट लिया हो या न लिया हो।

फेसबुक पर प्रमोशन के लिये एक पेज होना बहुत जरूरी है, जिसके सहारे आप अपनी किताब का एक विज्ञापन बना कर उसे चला सकते हैं। यहां फेसबुक आपको अपने रीडर्स को टार्गेट करने के लिये काफी डिटेल्ड ऑप्शन देता है और आप उनकी एज, डेमोग्राफी, इंटरेस्ट, बिहैवियर और लोकैलिटी के हिसाब से उनको टार्गेट कर सकते हैं।

फेसबुक के सिवा आप इंस्टाग्राम पर अगर अकाउंट रखते हैं तो उसे बिजनेस अकाउंट में कनवर्ट कर लीजिये, जिससे आप फेसबुक की तर्ज पर ही अपनी किताब के विषय के हिसाब से पाठकों को टार्गेट करते हुए विज्ञापन बना सकते हैं। प्रमोशन के लिये ट्विटर का भी उपयोग कर सकते हैं.. अपनी लिस्ट के सेलेब्स टाईप लोगों को टैग करते हुए इस तरह पोस्ट करें कि वह उनकी वाल तक पहुंचे, या उनके ट्वीट के रिप्लाई में भी हैशटैग का सहारा लेते हुए अपनी किताब के बारे में बता सकते हैं, या उसका लिंक दे सकते हैं।

इन माध्यमों के सिवा आप गूगल से सर्च करके उस स्पेसिफिक विषय के ब्लाॅग्स सर्च कर सकते हैं, जिस पर आपने किताब लिखी है और वहां कमेंट में लोगों को अपनी किताब के बारे में बताते हुए लिंक दे सकते हैं। ठीक ऐसा ही आप यूट्यूब पर कर सकते हैं, उस विषय से सम्बंधित सभी वीडियोज के कमेंट बाॅक्स में अपनी किताब के बारे में बताते हुए लिंक दे सकते हैं और इस मामले में कोरा नाम की वेबसाइट आपकी और मदद कर सकती है जहाँ अपने विषय से सम्बंधित सभी सवालों के जवाब में आप लिंक समेत अपनी किताब के बारे में बता सकते हैं।

इससे आगे बढ़ कर आप चाहें तो किन्हीं प्रोफेशनल्स की मदद ले कर आप बल्क एसएमएस और बल्क ई-मेल्स के जरिये भी लाखों लोगों तक अपनी किताब की जानकारी पहुंचा सकते हैं। इतना सब करने के बाद भी अगर किताब को बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं मिलता तो हताश होने की जरूरत नहीं… नये लेखक को पहचान बनाने में थोड़ा वक्त लगता ही है। आप अगली बार और बेहतर ढंग से कोशिश कर सकते हैं।

Originally Published in WordSmith and Lafztarash

Written by Ashfaq Ahmad

MIROV/मिरोव CHAPTER 1

सोचिये कि एक दिन आप नींद से जागते हैं और पाते हैं कि आप उस दुनिया में ही नहीं हैं जो आपने सोने से पहले छोड़ी थी तो आपको क्या महसूस होगा… सन दो हजार बत्तीस की एक दोपहर न्युयार्क के मैनहट्टन में एक सड़क के किनारे पड़ी बेंच पर जागे एडगर वैलेंस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था।

वह जिस जगह को और जिस दुनिया को देख रहा था वह उसने पहले कभी नहीं देखी थी, जबकि वह अपने आईडी कार्ड के हिसाब से न्युयार्क में रहने वाला एक अमेरिकी था… उसे यह नहीं याद था कि वह अब कौन था लेकिन धीरे-धीरे उसे यह जरूर याद आता है कि वह तो भारत के एक गांव का रहने वाला था और वह भी उस वक्त का जब मुगलिया सल्तनत का दौर था और अकबर का बेटा जहांगीर तख्त नशीन था।

उसे न सामने दिखती चीजों से कोई जान पहचान थी और न ही खुद की योग्यताओं का पता था लेकिन फिर भी सबकुछ उसे ऐसा लगता था जैसे वह हर बात का आदी रहा हो जबकि उसके दौर में तो न यह आधुनिक कपड़े पहनने वाले लोग थे, न गाड़ियां और न उस तरह की इमारतें। उसने कभी तलवार भी न उठाई थी मगर उसका शरीर मार्शल आर्ट का एक्सपर्ट था।

उसके घर में जो लड़की खुद को उसकी बीवी बताती थी, उसे कभी उसने देखा ही नहीं था… उसके लिये एकाएक सबकुछ बदल गया था, उसका देश, उसकी जमीन, उसके लोग और यहां तक कि उसका अपना शरीर और जेंडर भी… फिर कुछ इत्तेफ़ाक़ों के जरिये वर्तमान जीवन का कुछ हिस्सा उसे याद आता भी है तो कई ऐसे लोग उसके पीछे पड़ जाते हैं जिनका दावा था कि उसने न सिर्फ उनके सिंडीकेट के एक मुखिया को खत्म किया था बल्कि उनके टेन बिलियन डॉलर भी पार किये थे… जबकि वह पूरी तरह श्योर था कि उसने कभी उन लोगों को देखा तक नहीं था।

इतना कम नहीं था कि उसे अपने बीते दौर का एक पेचीदा सवाल और उलझा देता है कि दुनिया भर से लूटा गया कुछ बेशकीमती जवाहरात और कलाकृतियों पर आधारित एक ऐसा खजाना भी उसकी जानकारी में कहीं दफन हुआ था जिसके पीछे न सिर्फ डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश सिपाही और जासूस पड़े थे बल्कि कुछ चीनियों के साथ भी उसी के पीछे उसकी सांठगांठ हुई थी लेकिन जिनके पीछे उसे मौत के मुंह में पहुंचना पड़ा था।

अब उस खजाने का जिक्र तक कहीं नहीं मिलता और न ही इतिहास में ऐसा कोई जिक्र मिलता है कि किसी के हाथ ऐसा कुछ लगा हो… हां— फ्रांस, ब्रिटेन के कुछ दस्तावेजों से इस बात का पता तो चलता है कि ऐसा कोई खजाना उस वक्त जिक्र में था लेकिन उन्होंने उसे बस अफवाह माना था। तो सवाल यह था कि अगर वह किसी के हाथ नहीं लगा तो उसे अभी भी वहीं होना चाहिये जहां उसे छोड़ा गया था… और इत्तेफाक से वह जगह उसे याद थी। उसे उस जगह का वो मालिक भी याद था जो खुद को उस तिलस्म का दरोगा कहता था जहां वह खज़ाना दफ़न था और खुद अपनी उम्र दो सौ साल की बताता था।

लेकिन उसका चार सौ साल बाद जागना और उस दौर की एक अफवाह को सच साबित करना उन सरकारों के भी कान खड़े कर देता है जो उस पर अपना दावा जताते थे और फिर एक लंबी जद्दोजहद शुरू हो जाती है उसे हासिल करने की… लेकिन जहां वह बेशकीमती खजाना मौजूद था, वहां तो अब किसी और की हुकूमत थी और हुकूमत भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि ऐसे लोगों की जो खुद दुनिया भर में लूटमार ही करते फिरते थे। साथ ही कई ऐसे सवाल अब वजूद में आ गये थे जो तब उन लोगों की समझ में नहीं आये थे लेकिन अब की आधुनिक दुनिया को देख कर कहा जा सकता था कि वे चीजें और वह जगह उस दौर में होने ही नहीं चाहिये थे लेकिन थे और क्यों थे, इसका कोई भी जवाब वहां किसी के पास नहीं था।

मिरोव” को पेपरबैक वर्शन में आप अमेज़न, फ्लिप्कार्ट, से इन लिंक में से किसी पे भी जा कर खरीद सकते हैं….

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और “मिरोव” के ईबुक वर्शन को आप अमेज़न किंडल, स्मैशवर्ड, गूगल प्ले या ग्रेडिअस से इन लिंक में से किसी पे भी जा कर खरीद सकते हैं….

जिहादी परिंदे

काफी पहले एक स्क्रिप्ट के साथ एक पब्लिशर महोदय से मिला था.. स्क्रिप्ट देखते ही उन्होंने पहला सवाल पूछा था कि इसमें सेक्स कितना है? मुझे अटपटा लगा था, क्योंकि मैं उस तरह की चीजें लिखता नहीं था.. सो जाहिर है कि मैंने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी और उनका कहना था कि आजकल मार्केट में तो यही चल रहा है, बिना इसके किताब कैसे बिकेगी। बेहतर है कि ऐसी किताब लिखो जिसमें आज की युवा पीढ़ी के लिये भरपूर मसाला हो।

उनकी बात मुझे अजीब लगी कि अच्छी भली कहानी में क्यों सेक्स मटेरियल घुसाया जाये लेकिन फिर थोड़ा चेक किया तो अंदाजा हुआ कि वाकई मार्केट मटेरियल वही था, जिसकी डिमांड थी।

तो फिर इस चीज को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखी थी जो एकदम फुल मार्केट मटेरियल थी.. लेकिन फिर कई बार खुद पढ़ने के बाद देने की हिम्मत नहीं पड़ी तो उसे ठंडे बस्ते में ही डाल दिया था।

पर अब फिर इसी फील्ड में पैर जमाने की कोशिश कर रहा हूँ तो सोचा कि क्यों न इसी के साथ शुरुआत की जाये, अब तो चेतन भगत जैसे बड़े कद के लेखक भी यह सब लिख लेते हैं और लोगों को स्वीकार भी है। हालांकि इसके बाद उस तरह के दृश्य काफी एडिट कर दिये लेकिन ‘मार्केट मटेरियल’ तो अब भी है।

वस्तुतः यह कहानी एक सेक्सुअली सिक भारतीय बंदे की है जिसके लिये हर किस्म और हर उम्र/चमड़ी/साईज/शेप की औरत एक लजीज डिश थी और उसकी जिंदगी का सारा रोमांच उन्हीं में था। पश्चिम की लड़कियों और आजादाना जिंदगी का क्रेज उसके लिये एक पागलपन था, जिसके लालच में वह लखनऊ से अमेरिका तक का सफर कर लेता है.. जहाँ उसे एन वैसी ही भरपूर लज्जत मिली थी, जिसका वह भूखा था लेकिन अनजाने में ही वह दो गोरी चमड़ी वाली मैमों की साजिश का शिकार बन जाता है और उसके माथे पर कई हत्याओं का दाग लग जाता है।

इससे बचने की कोशिश में एक ऐसे टेररिस्ट ग्रुप के चक्कर में फंस जाता है जो एक बड़े आत्मघाती हमले की प्लानिंग कर रहा था.. हाँ उसके आसपास उसकी पसंद की औरतें हर तरफ थीं और उसे हासिल भी थीं और वही थीं जो उसके बचाव की हर कोशिश को नाकाम कर देती हैं।

खैर आगे जानने के लिये पढ़ लें तो बेहतर रहेगा 😉😉

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