मिरोव चैप्टर 3

  • ₹250.00
  • by Ashfaq Ahmad  (Author)
  • Book: Mirov Chapter 3
  • Paperback: 235 pages
  • Publisher: Gradias Publishing House
  • Language: Hindi
  • ISBN-13:  978-81-959837-0-4
  • Product Dimensions: 13.95 x 1.75 x 21.59 cm

वे सारे एक अलग यूनिवर्स में पहुंच तो गये थे लेकिन यह दुनिया उनकी देखी, जानी, समझी दुनिया से बिलकुल उलट थी, जो उनकी कल्पना से भी परे थी और चूंकि उनके दिमागों के लिये वह सब ऐसी नई चीज़ें थीं, जो उनके दिमागों की प्रोसेसिंग क्षमताओं से बाहर थीं तो वे उन चीज़ों को जाने-पहचाने खाके में फिट कर के देखते थे— जबकि हकीक़त में वे कुछ और होती थीं, जिसे वे ठीक से समझ ही नहीं सकते थे और इस वजह से भी वे कई बार ज़बर्दस्त धोखा खाते हैं। सच यह था कि उनका दिमाग़ उन्हें जो भी दिखा रहा होता था, वह जितना सच होता था— उतना ही काल्पनिक भी होता था।

उस यूनिवर्स में कोई स्पेस नहीं था, मगर असीम दूरियां ज्यों की त्यों थीं और उन्हें उनके अपने यूनिवर्स की तरह इन दूरियों को तय करने के लिये वैसे साधनों की ज़रूरत नहीं थी, जो वह जानते थे बल्कि वहां तो पृथ्वी वासियों के हिसाब से पलक झपकते ही वे दूरियों को तय कर लेते थे। उस पूरे यूनिवर्स में अलग-अलग पॉकेट बने हुए थे और लगभग हर पॉकेट में कोई न कोई प्रजाति अपना वर्चस्व कायम किये थी लेकिन पस्कियन, ग्रेवोर्स और स्कैंडीज के रूप में वहां तीन प्रजातियां ऐसी भी थीं, जो कुल मिला कर आधे से ज्यादा यूनिवर्स को कब्ज़ाये थीं और आपस में एक दूसरे की कट्टर प्रतिद्वंद्वी थीं।

उन सबके बीच एक छोटे पॉकेट में एक ऐसी प्रजाति एड्रियूसिनॉस भी थी, जो वैज्ञानिक तौर पर सबसे ज्यादा तरक्कीशुदा थी। वे बाकियों से बहुत आगे का ज्ञान रखते थे… उन्हें अपने उस यूनिवर्स में खामी लगती थी और वे इस डिजाइन को और बेहतर करना चाहते थे। इस सिलसिले में उन्होंने सालों के जतन से एक ऐसा कॉस्मिक इंजन तैयार किया था जो उनके यूनिवर्स को रीडिजाइन कर सकता था, लेकिन  परीक्षण के दौरान पता चलता है कि वह शैडो यूनिवर्स को कोलैप्स कर सकता था। इसी एक्सपेरिमेंट की वजह से उस शैडो यूनिवर्स में तीस करोड़ लाईट ईयर्स में फैला ‘द बूटीस वायड’ बना था।

यह जान कर वे इस त्रुटि को दूर करने में जुट जाते हैं, लेकिन इस एक्सपेरिमेंट की वजह से इस कॉस्मिक इंजन की ख़बर पस्कियन, ग्रेवोर्स और स्कैंडीज को भी हो जाती है और वे पहले तो यूनिवर्स को रीडिजाइन करने के ही खिलाफ थे, फिर यह होता भी तो वे इसे अपने हिसाब से डिजाइन करना चाहते थे… इसी बिना पर तीनों आपसी प्रतिद्वंदिता भुला कर एक साथ एड्रियूसिनॉस पर हमला कर देते हैं। उनके बीच उनके अपने यूनिवर्स के इतिहास का सबसे भयानक युद्ध होता है, जहां वैज्ञानिक तरक्की में सबसे आगे होने के बावजूद भी वे तीनों प्रतिद्वंद्वियों की संयुक्त ताक़त के आगे हार जाते हैं और उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया जाता है।

लेकिन अपनी निश्चित हार देख कर वे उस कॉस्मिक इंजन को चार हिस्सों में तोड़ देते हैं, ताकि वह असेंबल हो कर ही एक्टिव हो सके और उन चार हिस्सों को अपने यूनिवर्स के चार बीहड़ और सबसे ख़तरनाक इलाकों में छुपा देते हैं… तब उन्हें उम्मीद होती है कि एक दिन वे फिर संवरेंगे, वापसी करेंगे और रीयूनाइट हो कर दुबारा अपने अधूरे काम को पूरा करेंगे। उन्हें तबाह कर चुकने के बाद पस्कियन, ग्रेवोर्स और स्कैंडीज उन पार्ट्स की तलाश में निकलते हैं और एक-एक पार्ट हासिल करने में कामयाब रहते हैं— लेकिन इस तरह वह किसी एक के काम का नहीं था और तीनों कभी एक मंच पर आना नहीं चाहते थे इस मकसद के लिये कि किसी तरह उस चौथे पार्ट को भी हासिल किया जाये और किसी एक के हिसाब से यूनिवर्स को रीडिजाइन किया जाये।

एक लंबी शांति के बाद वे इन पार्ट्स को एक दूसरे से हासिल करने की कोशिश शुरू करते हैं, जिनमें स्कैंडीज और ग्रेवोर्स का लक्ष्य तो अपने हिसाब से यूनिवर्स को डिजाइन करना था, जबकि पस्कियन इसलिये उस कॉस्मिक इंजन को हासिल करना चाहते थे क्योंकि वे यूनिवर्स में कोई बदलाव नहीं चाहते थे और इसकी वजह से इंसानों वाला यूनिवर्स भी कोलैप्स हो जाता जो उन्हें मंजूर नहीं था… तो वे उन इंसानों की मदद इसीलिये चाहते थे कि वे उस यूनिवर्स में अनएक्सपेक्टेड और अनकनेक्टेड जीव थे जो उन बाकी पार्ट्स को हासिल करने में कारगर साबित हो सकते थे।

लेकिन जब आँखों का देखा सबकुछ सच नहीं था और दिमाग़ काफी कुछ अपनी तरफ से गढ़ा व्यू उन्हें दिखाता था— तो क्या गारंटी थी कि उनके कान जो कुछ सुन रहे थे और दिमाग़ जो समझ पा रहा था, वह उतना ही रियल था जितना उन्हें लग रहा था। उसमें भी तो काफी कुछ भ्रम और छलावा साबित होने की गुंजाइश थी… और अंत-पंत सच भी यही तो साबित हुआ था।

To Buy Click Here

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s